Thursday, March 15, 2018

कसक

 आभी कुछ िदन पहले मैं प्रीत िवहार से पैदल िनकल रहा था। सड़क के दोनो तरफ आलीशान मकान ये गवाही दे रहे थी यह बस्ती अमीरों की है। खैर यह प्रीत िवहार का अपना मामला है। अभी मै कुछ दूर चला ही था िक रोड िकनारे एक बच्च्ी रो रही थी। िदल्ली जैसे शहर में यह आम बात है यहां काई हसता है तो कोई रोता है यहां िकसी को काई फर्क नहीं पड़ता की कौन रो रहा है कोई िकसी का दर्द उधार नहीं लेता लेिकन यह मेरे िलए बहुत ही दर्दनाक बात है। मै उस बच्ची को देखकर सोचता रहा िक इस सड़क पर सैकड़ों लोग आ जा रहे हैं िकसी का ध्यान ही गया होगा इस बच्ची की तरफ जब सरकार इतना प्रचार प्रसार कर रही है िक बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ। मै उस बच्ची के पास गया और उसके रोने का कारण् पूछा तो उसने बताया की भूख लगी है यह सुनकर मन बहुत दुखी हुआ। क्या इतने आलीशान कॉलोनी में भी ऐंसा होता है। खैर होता है तभी यह भूखी है। मैने उसे पास के एक रेस्तरां में ले गया और उसे भोजन कराया और उसको 50 का नोट िदया और बोला जो मन करे खा लेना। क्या इस शहर का यही दस्तूर है। हमलोग कब दूसरे का दर्द महसूस करेंगे। यही सोचता हुआ मै वहां से अपने आिफस के िलए िनकल गया.... 

No comments:

Post a Comment